#खान अब्दुल गफ्फार खान
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Abdul Ghaffar Khan: भारत रत्न पाने वाले पहले गैर-भारतीय
Abdul Ghaffar Khan: खान अब्दुल गफ्फार खान, को फ्रंटियर गांधी और बादशाह खान भी कहते थे। यह एक पश्तून स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत में ब्रिटिश राज के शासन को खत्म करने के लिए अभियान चलाया था। शांतिवाद के पालन और महात्मा गांधी के साथ घनिष्ठ संबंध के कारण, उन्हें “फ्रंटियर गांधी” उपनाम दिया गया था। साल 1929 था, जब स्वतंत्रता सेनानी और भारत रत्न अब्दुल गफ्फार खान ने खुदाई खिदमतगार (“भगवान के…
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भारत रत्न खानअब्दुल गफ्फार खान, सरहदी गाँधी भारत के विभाजन के कट्टर विरोधी।
6 फरवरी 1890 यौमें पैदाईश “दो बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भारत रत्न बादशाह खान की जिंदगी और कहानी के बारे में लोग कितना कम जानते हैं, 98 साल की जिंदगी में 35 साल उन्होंने जेल में सिर्फ इसलिए बिताए ताकि इस दुनिया को इंसान के रहने की एक बेहतर जगह बना सकें” महात्मा गांधी को छह-सात वर्ष तक जेल में रहना पड़ा, सू की को 15 वर्ष तक और नेल्सन मंडेला को 27 वर्ष तक, लेकिन यह सब खान अब्दुल…
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Jamshedpur incident - परसुडीह में आसामाजिक तत्वों ने टेंपो में लगायी आग, जलकर खाक
जमशेदपुर : जमशेदपुर के परसुडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत कीताडीह गाड़ीवानपट्टी के रहने वाले अब्दुल गफ्फार अंसारी की पैसेंजर टेंपो संख्या जेएच 05बीइ5605 को आसामाजिक तत्वों के द्वारा जला दिया गया. इस घटना में पूरा टेंपो जलकर खाक हो गया. इस संबंध में टेंपो के ड्राइवर जहांगीर खान ने कहा कि मैं मॉडल स्कूल के समीप रहता हूं और रोजाना की तरह रात में टेंपो खड़ी कर घर में सोया हुआ था. तभी पड़ोसियों ने दरवाजा…
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आज ही के दिन हुई थी भारत रत्न देने की शुरुआत, जानें किसे दिया जाता है यह सम्मान
नई दिल्ली: भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने आज ही के दिन यानी 2 जनवरी 1954 को 'भारत रत्न' को संस्थापित किया था। देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' (Bharat Ratna ) है। यह उन महान शख्��ियतों को दिया जाता है, जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय और असाधारण योगदान के जरिए राष्ट्र सेवा की हो। बता दें कि खेल के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वालों को भी भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रावधान बाद में किया गया। वर्ष 2014 में सचिन तेंदुलकर खेल के क्षेत्र में भारत रत्न पाने वाले अब तक इकलौते भारतीय हैं। यह कोई अनिवार्य नहीं है कि, भारत रत्न सम्मान हर साल दिया ही जाए। भारत रत्न देने के लिए नामों की सिफारिश भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से करते हैं। जिसके बाद राष्ट्रपति की ओर से उस व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता है। इस पुरस्कार के तहत प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है। पुरस्कार में कोई मौद्रिक अनुदान नहीं होता है। भारत रत्न की डिजाइन पहले भारत रत्न की डिजाइन में 35 मिमी गोलाकार स्वर्ण पदक था और इस पर सूर्य बना था। जिसके ऊपर हिंदी में भारत रत्न लिखा हुआ था और नीचे की तरफ पुष्पहार था। इसके पीछे राष्ट्रीय चिन्ह और वाक्य लिखा होता था। इसके बाद रत्न में बदलाव करते हुए तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना दिया गया। इसके नीचे चांदी में भारत रत्न लिखा रहता है। भारत रत्न से सम्मानित हस्तियों की सूची * प्रणब मुखर्जी (2019) * भूपेन हजारिका (2019) * नानाजी देशमुख (2019) * मदन मोहन मालवीय (2015) * अटल बिहारी वाजपेयी (2015) * सचिन तेंदुलकर (2014) * सीएनआर राव (2014) * पंडित भीमसेन जोशी (2008) * लता दीनानाथ मंगेशकर (2001) * उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (2001) * प्रो अमर्त्य सेन (1999) * लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई (1999) * लोकनायक जयप्रकाश नारायण (1999) * पंडित रविशंकर (1999) * चिदंबरम सुब्रमण्यम (1998) * मदुरै शनमुखावदिवु सुब्बुलक्ष्मी (1998) * डॉ. अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (1997) * अरुणा आसफ अली (1997) * गुलजारी लाल नंदा (1997) * जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (1992) * मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (1992) * सत्यजीत रे (1992) * राजीव गांधी (1991) * सरदार वल्लभभाई पटेल (1991) * डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर (1990) * डॉ. नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला (1990) * मरुदुर गोपाल��� रामचंद्रन (1988) * खान अब्दुल गफ्फार खान (1987) * आचार्य विनोबा भावे (1983) * मदर टेरेसा (1980) * कुमारस्वामी कामराज (1976) * वराहगिरी वेंकट गिरी (1975) * इंदिरा गांधी (1971) * लाल बहादुर शास्त्री (1966) * डॉ. पांडुरंग वामन केन (1963) * डॉ. जाकिर हुसैन (1963) * डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1962) * डॉ. बिधान चंद्र रॉय (1961) * पुरुषोत्तम दास टंडन (1961) * डॉ. धोंडे केशव कर्वे (1958) * पं गोविंद बल्लभ पंत (1957) * डॉ. भगवान दास (1955) * जवाहरलाल नेहरू (1955) * डॉ. मोक्षगुंडम विवेस्वराय (1955) * चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1954) * डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन (1954) * डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954) http://dlvr.it/T0rSTj
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बॉम्बे HC ने मशाल खान को चाची की संपत्ति, परिवार के विवरण पर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा
बॉम्बे HC ने मशाल खान को चाची की संपत्ति, परिवार के विवरण पर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा
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द्वारा लिखित ओंकार गोखले | मुंबई | प्रकाशित: 22 अगस्त, 2020 6:22:27 बजे
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खान अब्दुल गफ्फार खान (स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक पाकिस्तानी नागरिक और खान अब्दुल गफ्फार खान के परपोते मशाल खान को फ्रंटियर गांधी के रूप में भी जाना जाता है, के रूप में उन्हें अपनी चाची ज़रीन गनी वध के संरक्षक के रूप…
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महान स्वतंत्रता सेनानी ख़ान अब्दुल गफ्फार खान की जयंती पर शत् शत् नमन
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अल्मोड़ा जेल का इतिहास | History Of Almora Jail
अल्मोड़ा जेल का इतिहास | History Of Almora Jail
अल्मोड़ा जेल का इतिहास | History Of Almora Jail अल्मोड़ा में स्थित जिला जेल जिसे अल्मोड़ा जेल के नाम से जानते हैं का ऐतिहासिक महत्व रहा है। इस जेल में स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अनेक महान स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर रखा गया था। इनमें पं० जवाहरलाल नेहरू, खान अब्दुल गफ्फार खाँ “सीमान्त गाँधी”, आचार्य नरेन्द्र देव, प० गोविंद बल्लभ पंत आदि का नाम शामिल है। अल्मोड़ा की इस एतिहासिक जेल की…
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जमीन में जबरन कब्जा कर महिला के साथ अभद्रता करने पर सिंधी पंचायत ने पुलिस अधीक्षक को सौदा ज्ञापन
सतना। बीते दिनों कोर्ट के आदेश के बावजूद कोर्ट के नाजिर और पुलिसकर्मियों के साथ अपने जमीन पर कब्जा करने के लिए गई महिला सुनीता अक्षरा के साथ जमीन पर अवैध कब्जा कर वृक्ष का कारोबार करने वाले अब्दुल गफ्फार खान द्वारा महिला के साथ मारपीट की गई जिसको लेकर सिंधी सेंटर पंचायत जनरल मर्चेंट एसोसिएशन व अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने महिला के साथ जाकर पुलिस अधीक्षक महोदय को ज्ञापन सौंपकर आपबीती बताई और यह…
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कम पावर का मोटर होने के कारण ग्रामीणों के घरों तक नहीं पहुंच रहा नल का जल, जिला प्रशासन से पहल की गुजारिश
कम पावर का मोटर होने के कारण ग्रामीणों के घरों तक नहीं पहुंच रहा नल का जल, जिला प्रशासन से पहल की गुजारिश
Sheikhpura: जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाबजूद जिले के कई गांवों में नल-जल योजना की स्थिति खराब है। ताजा मामला शेखोपुरसराय नगर क्षेत्र के चरुआवां गांव का है। जहां वार्ड नं 5 में महीनों से घरों में पानी नहीं पहुंच ने के कारण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बाबत अमजद खान, मो मुफिमउद्दीन, मो कलीम, मो शमीम, अब्दुल गफ्फार, एजाज अहमद, मो भोलू, अनवर खान, मो नईमउद्दीन, वसीम खान,…
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समान्य ज्ञान प्रैक्टिस सेट 25+ महत्वपूर्ण प्रश्नो का Online Test
समान्य ज्ञान प्रैक्टिस सेट 25+ महत्वपूर्ण प्रश्नो का Online Test
Q. दूध से क्रीम किस प्रक्रिया से बनाई जाती है ? अपकेन्द्रिय बल Q. रिजर्व बैंक आफ इण्डिया का मुख्यालय कहाँ है? मुंबई Q. किसे सीमांत गाँधी कहा जाता है ? खान अब्दुल गफ्फार खान Q. विश्व का सबसे बड़ा द्वीप कौन सा है? ग्रीनलैंड Q. स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? डॉ. राजेन्द्र प्रसाद Q. काल�� मिट्टी किस फसल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है? कपास Q. कौन-सा विदेशी आक्रमणकारी ‘कोहिनूर हीरा’…
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32 लाख पख्तूनों को यहां आ रहे हैं उन्मत्त फोन, सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए: फ्रंटियर गांधी पोती
32 लाख पख्तूनों को यहां आ रहे हैं उन्मत्त फोन, सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए: फ्रंटियर गांधी पोती
फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान की एक तस्वीर पार्क सर्कस के पास करीम हुसैन लेन में एक छोटे से कमरे में एक दीवार पर ऊंची लटकी हुई है। नीचे, उनकी पोती यास्मीन निगार खान (50) “अफगानिस्तान के आम लोगों” और “32 लाख पख्तूनों जो भारत में पीढ़ियों से रह रहे हैं” के बारे में चिंतित हैं। यास्मीन, अखिल भारतीय पख्तून जिरगा-ए-हिंद (भारत में पख्तूनों या पठानों का एक संगठन) के अध्यक्ष के रूप…
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#अखिल भारतीय पख्तून जिरगा-ए-हिंदी#अफगानिस्तान पठान#अफगानिस्तान संकट पठान#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज़#फ्रंटियर गांधी#यास्मीन निगार खान
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अफगान संकट पर बोलीं खान अब्दुल गफ्फार खान की पोती- भरोसे के काबिल नहीं तालिबान Divya Sandesh
#Divyasandesh
अफगान संकट पर बोलीं खान अब्दुल गफ्फार खान की पोती- भरोसे के काबिल नहीं तालिबान
कोलकाता अफगान संकट पर ‘सीमांत गांधी’ खान अब्दुल गफ्फार खान की पोती और ऑल इंडिया पख्तून जिगरा ए हिंद की अध्यक्ष यास्मीन निगार खान () काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि तालिबान की बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यास्मीन ने मंगलवार को कहा कि उन्हें भारत भर में रहने वाले पख्तूनों के त्राहिमाम संदेश (एसओएस) मिल रहे हैं। इसमें विदेश मंत्रालय से अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां रह रहे उनके परिजन की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जा रहा है।
पीढ़ियों से मध्य कोलकाता में रह रहीं यास्मीन निगार खान (50) ऑल इंडिया पख्तून जिरगा-ए-हिंद की अध्यक्ष हैं जो देश में समुदाय की शीर्ष संस्था है। बीती दो रातों से बमुश्किल सोईं खान ने बताया कि हम केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के लगातार संपर्क में हैं, लेकिन स्थिति लगातार तेजी से बदल रही है और अफगानिस्तान से बहुत कम जानकारी बाहर आ रही है। फोन लाइनें बंद हैं और काबुल की तस्वीरें परेशान करने वाली हैं। जो लोग भारत में रह रहे हैं, वह व्याकुल हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 1000 पख्तूनों और देश के अन्य हिस्सों में पीढ़ियों से रह रहे लाखों लोगों के पास अपने मूल स्थान लौटने का कोई मौका नहीं है, लेकिन लगभग सभी के रिश्तेदार अफगानिस्तान या पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में हैं।
‘तालिबान की नजरों में महिलाओं की आजादी का कोई सम्मान नहीं’ खान ने कहा कि वे अफगानिस्तान ��ें रहने वाले अपने रिश्तेदारों से कुछ महीनों पहले तक नियमित रूप से बात करते थे, लेकिन अब उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे। उन्हें जो कुछ भी थोड़ी बहुत जानकारी मिल रही है वह उन लोगों के जरिये जो पाकिस्तान में रह रहे हैं। कई लोगों के रिश्तेदार तालिबान के हमलों में मारे गए। तालिबान की नजरों में स्वतंत्रता, गरिमा और महिलाओं की आजादी का कोई सम्मान नहीं है।
‘महिलाओं को मध्यकालीन युग में ले जाना चाहता है तालिबान’उन्होंने कहा कि तालिबान के पिछले शासन के दौरान उन्होंने युवा विधवाओं का अपहरण अपने सदस्यों से उनकी शादी कराने के लिए किया। वे नहीं चाहते कि लड़कियां पढ़ें या स्कूल जाएं। वे जिसे इस्लामी कानून बताते हैं, वह वास्तव में धर्म का उपहास है। क्या मदरसों में लड़कियां नहीं पढ़ती हैं। इस्लाम मानने वाले देशों में भी लड़कियों को आधुनिक शिक्षा लेने और पुरुषों के साथ काम करने के लिये प्रेरित किया जाता है। तालिबान महिलाओं को मध्यकालीन युग में ले जाना चाहता है।
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स्वतंत्रता सेनानी और देश में हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक रहे खान अब्दुल गफ्फार खान की पोती ने अफगानिस्तान के हालातों पर जताई चिंता, मीडिया से बातचीत में बोलीं -तालिबान पर भरोसा नहीं किया जा सकता, हम सिर्फ पीएम मोदी से अपील कर सकते हैं
स्वतंत्रता सेनानी और देश में हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक रहे खान अब्दुल गफ्फार खान की पोती ने अफगानिस्तान के हालातों पर जताई चिंता, मीडिया से बातचीत में बोलीं -तालिबान पर भरोसा नहीं किया जा सकता, हम सिर्फ पीएम मोदी से अपील कर सकते हैं
इंटरनेट डेस्क। स्वतंत्रता सेनानी और देश में हिंदू मुस्लिम एकता के हिमायती रहे खान अब्दुल गफ्फार खान की पोती और आल इंडिया पख्तून जिरगा-ए-हिंद की अध्यक्षा यास्मीन निगार खान ने आज मंगलवार को कोलकाता में मीडिया से बातचीत करते हुए अफगानिस्तान के हालातों में पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है। निगार खान ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद नेता तो भाग गए लेकिन आम लोगों, बच्चों और महिलाओं को…
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आज ही के दिन 24 मई 1920 को #अलीगढ़_मुस्लिम_यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई।
#सर_सैय्यद_अहमद_खां ने इसकी बुनियाद 1875 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज के रूप में की थी जिसे 1920 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला।
1874 में जब इसकी बुनियाद रखी गयी थी तो इसके तामीर में 1,53,492 रुपए 8 आना खर्चा हुआ था। गवर्नर लार्ड नार्थ बूक ने 10,000, पटियाला के महाराजा महेंद्र सिंह ने 58000, हैदराबाद के सातवे निज़ाम, मीर उस्मान अली खान ने 50 हज़ार रुपए दान दिए थे।
शुरुआत में यह कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड था, 1887 में यह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड हो गया और 1920 में इसे सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला।
एएमयू की मौलान आजाद लाइब्रेरी में 13 लाख किताब मौजूद है।
यह रखी इंडेक्स इस्लामिक्स की कीमत 12 लाख रुपये।
यहां अकबर के दरबा��ी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता और 400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि मौज़ूद है।
मुगल बादशाह जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश ती अद्भुत पेंटिग मौजूद है।
अलीगढ़ मुस्लिम हिंदुस्तान को कई अज़ीम शख्सियत दी
दो भारत रत्न दिए
डॉ0 जाकिर हुसैन (1963)
खान अब्दुल गफ्फार खान (1983)
6 पद्मविभूषण दिए
डॉ0 जाकिर हुसैन (1954)
हाफिज मुहम्मद इब्राहिम (1967)
सैयद बसीर हुसैन जैदी (1976)
प्रो. आवेद सिद्दीकी (2006)
प्रो. राजा राव (2007)
प्रो. एआर किदवई (2010)
8 पद्मभूषण दिए
शेख मोहम्मद अब्दुल्लाह (1964)
प्रो. सैयद जुहूर कासिम (1982)
प्रो. आले अहमद सुरुर (1985)
नसीरुद्दीन शाह (2003)
प्रो. इरफान हबीब (2005)
कुर्रातुल एन हैदर (2005)
जावेद अख्तर (2007)
डॉ. अशोक सेठ (2014)
विश्वविद्यालय के 53 विद्वानों को पद्मश्री मिला
3 ज्ञानपीठ दिए
कुर्रतुलऐन हैदर (1989)
अली सरदार जाफरी (1997)
प्रो. शहरयार (2008)
5 सुप्रीम कोर्ट के जज दिए
जस्टिस बहारुल इस्लाम
जस्टिस सैयद मुर्तजा फजल अली
जस्टिस एस. सगहीर अहमद
जस्टिस आरपी सेठी
एएमयू ने हाईकोर्ट को 47 जज दिए
हमे नही पता कि सर सैय्यद पर लगा कुफ़्र का फ़तवा जायज़ था या नही अल्लाह बेहतर जाने। लेकिन आज उनकी उसी एक कोशिश की वजह से लाखों मुसलमानों ने उच्च शिक्षा हासिल कर देश मे अपना योगदान दिया और आगे भी देते रहेंगे।
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अली प्रदेश महासचिव नियुक्त काछोला 29 मई-राजस्थान मुस्लिम युथ के संस्थापक सदस्य अब्दुल गफ्फार मुलतानी ने बताया कि कल प्रदेश कार्यालय हरणी महादेव स्थित पर एक बैठक आयोजित की गई जिसमें प्रदेश कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ, अब्दुल रशीद, विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट रशीद बिसायती, बिजौलिया निवासी प्रदेश सचिव ईरशाद खान और भीलवाड़ा ज़िला अध्यक्ष रईस खान हयात चौहान, वसीम खान औऱ अन्य कार्यकर्ताओ एवं पद अधिकारियों के स��्वसम्मति से एवं प्रदेश अध्यक्ष मकसूद अहमद की अनुशंसा पर भीलवाडा निवासी पूर्व जिलाध्यक्ष अली खान को प्रदेश महासचिव नियुक्त किया गया, इस नियुक्ति से भीलवाड़ा जिले के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर आ गई। फोटो केप्शन -अली खान प्रदेश महासचिव फ़ाईल फोटो
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बापू का पत्र नरेंद्र भाई मोदी के नाम
गोडसे की गोली और आज का समाज प्रिय नरेंद्र ,
देश विदेश की चर्चा के साथ- साथ कभी कभी मुझे लगता है कि नाथूराम ने सिर्फ ��क गोली से मेरा जीवन खत्म कर दिया था ,किन्तु आज खुले आम उन सभी सिद्धान्तों की बलि दी जा रही है , जिसके लिए हम सभी जीवन पर्यन्त संघर्ष करते रहे है। इस रोज़ रोज़ मरने का जो क्लेश है ,वह गोडसे की गोली से ज्यादा पीड़ादायक है।
मैंने गोडसे को क्षमा कर दिया , किन्तु मुझमें और उसकी सोंच में सिर्फ एक अंतर था- वह भारत की महानता और उसके आदर्शों को संकीर्ण चश्मे से देखता था। वास्तव में अपनी सत्ता को बरकरार रहने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने मुसलमानों का एक छोटा सा वर्ग तैयार किया था , जो मुसलमानों के हितों के नाम पर राजनीति और सत्ता चाहता था। नाथूराम इसी संकीर्ण मुस्लिम सोंच की प्रतिक्रिया थी और उसकी नासमझी ने मेरा जीवन समाप्त कर दिया। बहुत से लोग आज भी समझते है कि मैं मुस्लिम परस्त हूँ , इसीलिए गोडसे ने मुझे गोली मार दी। मुझे ख़ुशी है की तुम और तुम्हारी सरकार साम्राज्यवादी अंग्रेजो का एजेंडा समझते हो। फिर भी मै याद दिलाना चाहूंगा कि पोट्स डैम संधि के समय चर्चिल ने क्या कहा था ," हमें मुसलमानों का राज्य बना कर कम्युनिस्टों की बढ़ती ताकत को एशिया में रोकना है"। यह सही है कि चर्चिल मुझे कालापानी देना चाहते थे , लेकिन वह चुनाव हार गये और अंग्रेजो के भारत से विदा होने का समय आ गया। लेकिन भारत के विभाजन का खाका तैयार हो चुका था , मोहम्मद अली जिन्ना जिन्हे हम कायदे आज़म कहते है अंग्रेजो के मोहरें बन गए। अंग्रेजो की सह पर पंजाब से लेकर बंगाल तक हिंदू- मुस्लिम दंगे कराये गए। विभाजन के सन्दर्भ में बहुत से विचारकों का कहना है कि , दलितों के सवाल पर तो मैंने अनशन किया था लेकिन देश की एकता के लिए मैंने अन्न जल ग्रहण करने से इन्कार क्यों नहीं किया ? इसका उत्तर पूरी आंतरिक नीति को समझने पर ही मिल सकता है। भारत - विभाजन के ब्रिटिश षड्यंत्र को समझने के लिए हमें खान अब्दुल गफ्फार खान के सुपुत्र वली खां की किताब अवश्य पढ़नी चाहिए।
मुझे बेहद अफ़सोस है कि सर सैय्यद अहमद द्वारा स्थापित एंग्लो -मोहम्मडन कॉलेज जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विध्यालय के नाम से मशहूर हुआ ,राष्ट्रीय एकता के लिए स्थापित किया गया था। ��र सैय्यद अहमद खां सनातन धर्मी , मुसलमानों अन्य धर्मावलंबियो को हिंदू कहते थे। आज भी इस बारे में दिए गए भाषण उपलब्ध है। मै तो इस्लामी अलगाववाद को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु मानता हूँ। इससे इस्लाम के आध्यात्मिक स्वरुप को अपार क्षति पहुंची है। इस्लाम के आदर्श गोला बारूद के धुए में उड़ गये है। साम्राज्यवाद का आधार व्यक्ति नहीं पूंजी और बाजार है। इसने धर्म को भी नष्ट कर दिया है। ईसामसीह की शिक्षाएं साम्राज्य वाद और उपनिवेशवाद की बलि चढ़ गई। आप को याद होगा केन्या ने एक बार कहा था कि जब ईसाई मिशनरी मेरे देश में आये थे तो उनके पास बाइबिल थी और हमारे पास अपनी भूमि और अपना देश। अब हमारे पास पवित्र बाइबिल है और उनके पास हमारी भूमि।
इसलिए अगर आज यूरोप के तमाम लोग इसाई धर्म से विमुख हो गए है तो हमें आश्चर्य नहीं करना चाहिए। गिरजाघर बिक रहे है। इसके पिछे व्यक्ति को केंद्र न मानकर पूँजी और बाजार को महत्व दिया जा रहा है। हमें याद रखना चाहिए कि ईश्वर की आराधना व्यापार या भौतिक सत्ता का माध्यम नहीं बन सकता है। इसलिए सत्ता या धन के उपयोग से धर्म परिवर्तन कराना शैतान की आराधना करना है।
इसकी सबसे अच्छी व्याख्या मौलाना आज़ाद ने की थी। इस्लाम के उदात्त परम्पराओं की व्याख्या लखनऊ स्थित नदवा के महान विचारक अली ने भी की थी। अतः धार्मिक मतभेदों को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने के के पीछे राजनैतिक और आर्थिक स्वार्थ होता है। जबकि धर्मनिरपेक्षता अध्यात्म और लोकतंत्र की ओर ले जाती है।
अगर देश इन विचारों को आत्मसात कर आगे बढ़ता है तो निश्चित ही उसका भविष्य उज्जवल होगा। मोहन दास गाँधी ( डॉ कमल टावरी की कलम से )
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